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जिंदगी

जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे ।
द्वेष, क्रोध और भय से उन्मुक्त ।।
प्रेम के पथ पर दौड़ती रहे ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे… ।।

एक अंतर्मन और अनंत विचार ।
परंतु सुनता हूँ, केवल दिल की पुकार ।।
हर मोड़ पर, सत्य की रोशनी मिलती रहे ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे… ।।

नहीं चाहता मैं, अद्वितीय और अलौकिक होना ।
ऊँचे पर्वत की तरह, अपनी ऊँचाई पर इतराना ।।
मेरे कदम सबके साथ बढ़ते रहें ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे.. .।।

रहूँ आसक्त मैं, प्रभु के लिए ।
बनू सशक्त मैं, देश के लिए ।।
परोपकार की ज्योति, हमेशा दिल में जलती रहे ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे… ।।

 

– अविचल मिश्र


avichal

By avichal

Avichal Mishra

21 replies on “जिंदगी”

माला में इक और मोती,हार में एक और मनका,
अच्छे लोग,अछि कविता,खूबसूरत, अदृट्रीय।।

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ, आत्मा की आवाज़ है जन जन की. .

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