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Poems

वादों का शोर

उम्मीदों से
लिफ़ाफ़ा खोला
केवल एक पेज
आंग्ल भाषा में अंकित
कुछ लाइनें
समय के साथ
नहीं था मैं…
दौड़कर उस
शिक्षक के पास
गहरी श्वास के साथ
धीमी आवाज़
तुम्हारी ज़मीन
अब किसी और की…
किंकर्तव्यविमूढ़
धीमा और फिर तेज होता
चुनावी वादों का शोर
‘सभी के क़र्ज़ माफ़ होंगे’…✍

-अविचल मिश्र