जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे ।
द्वेष, क्रोध और भय से उन्मुक्त ।।
प्रेम के पथ पर दौड़ती रहे ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे… ।।
एक अंतर्मन और अनंत विचार ।
परंतु सुनता हूँ, केवल दिल की पुकार ।।
हर मोड़ पर, सत्य की रोशनी मिलती रहे ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे… ।।
नहीं चाहता मैं, अद्वितीय और अलौकिक होना ।
ऊँचे पर्वत की तरह, अपनी ऊँचाई पर इतराना ।।
मेरे कदम सबके साथ बढ़ते रहें ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे.. .।।
रहूँ आसक्त मैं, प्रभु के लिए ।
बनू सशक्त मैं, देश के लिए ।।
परोपकार की ज्योति, हमेशा दिल में जलती रहे ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे… ।।
– अविचल मिश्र
21 replies on “जिंदगी”
Panktiyo m likha ekk ek shabd Sacha h jinka
Bhut he naik or kaabil insane h ye Avichal Mishra naam h inka
Gunjan kaur…..
Thx a lot for your beautiful words 🙂
माला में इक और मोती,हार में एक और मनका।
अछी लिखी है,लिखते रहिये
माला में इक और मोती,हार में एक और मनका,
अच्छे लोग,अछि कविता,खूबसूरत, अदृट्रीय।।
बहुत-बहुत आभार आपका :))
Hey Avi, bass aise he sunder likhty rho… keep it up dost.. :))
बहुत-बहुत धन्यवाद नीतू :))
Vakai sach hai,jindagi yun he chalti rahe
आभार आपका..
Bahut khoob
धन्यवाद..
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ, आत्मा की आवाज़ है जन जन की. .
बहुत-बहुत आभार राजीव :))
बहुत सुन्दर
धन्यवाद आपका..
Nice poem..
धन्यवाद अनुराग..
अदभुत।
बहुत-बहुत धन्यवाद राहुल :))
बहुत अच्छा है सर जी
बहुत आभार अजय :))