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जिंदगी

जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे ।
द्वेष, क्रोध और भय से उन्मुक्त ।।
प्रेम के पथ पर दौड़ती रहे ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे… ।।

एक अंतर्मन और अनंत विचार ।
परंतु सुनता हूँ, केवल दिल की पुकार ।।
हर मोड़ पर, सत्य की रोशनी मिलती रहे ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे… ।।

नहीं चाहता मैं, अद्वितीय और अलौकिक होना ।
ऊँचे पर्वत की तरह, अपनी ऊँचाई पर इतराना ।।
मेरे कदम सबके साथ बढ़ते रहें ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे.. .।।

रहूँ आसक्त मैं, प्रभु के लिए ।
बनू सशक्त मैं, देश के लिए ।।
परोपकार की ज्योति, हमेशा दिल में जलती रहे ।
जिंदगी बस ऐसे ही चलती रहे… ।।

 

– अविचल मिश्र