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विचार

विचारमग्न है मन……..

कुछ यूँ ही उमड़ते घुमड़ते विचारों को लेकर |

जो है यथार्थ की कसौटी से कोसों दूर,

परंतु इच्छा है उसे पूर्ण करने की ||

एक विचार जो कभी उपयुक्त लगता है,

अचानक अगले ही क्षण…..

एक नया विचार उत्पन्न हो जाता है |

जो कर लेता है हरण, प्रथम विचार का,

इन्हीं विचारों को लेकर मन हो जाता है उद्वेलित ||

उचित अनुचित के चक्रव्यूह में,

यह  पूरी तरह से जकड़ जाता है |

और अपने को असहाय पाता है ||

आज कुछ ऐसे ही विचार,

मेरे मन में जन्म ले रहे हैं |

किसका चयन करूँ मैं…कौन है सबसे उपयुक्त?

इसी प्रश्न पर विचार करने के लिए,

मैं एक बार फिर..

गम्भीरता से विचार कर रहा हूँ ||

–  अविचल मिश्र