मेरे जीवन में
कौन हो तुम ?
कोरी आँखों के
तैरते शब्द
ठिठक कर
रुक जाते
अधरों पर …
अस्पष्ट आवाज
कहीं तो सुना
वार्तालाप स्वयं से
या कुछ और
सच कहाँ ?
हर क़दम
मेरे साथ
अदृश्य
‘आराध्य’…✍
-अविचल मिश्र
मेरे जीवन में
कौन हो तुम ?
कोरी आँखों के
तैरते शब्द
ठिठक कर
रुक जाते
अधरों पर …
अस्पष्ट आवाज
कहीं तो सुना
वार्तालाप स्वयं से
या कुछ और
सच कहाँ ?
हर क़दम
मेरे साथ
अदृश्य
‘आराध्य’…✍
-अविचल मिश्र
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